महापौर रूपेश जाधव आक्रामक पानी की टंकी चालू नहीं हुई तो BAVIA खुद जलापूर्ति शुरू करेगा* *करोड़ों की पानी की टंकी धूल में मिली*

 

 

   *Big Breaking Nalasopara  East : महापौर रूपेश जाधव आक्रामक पानी की टंकी चालू नहीं हुई तो BAVIA खुद जलापूर्ति शुरू करेगा* 

*करोड़ों की पानी की टंकी धूल में मिली*

वसई-विरार महानगरपालिका संवेदनहीन और लापरवाह प्रबंधन की पराकाष्ठा पर पहुँच गई है। जनता के पैसों से करोड़ों रुपये की लागत से आचोले प्रभाग में बनी तीन अजस्त्रा पानी की टंकियाँ प्रशासन की नींद हराम होने के कारण बिना इस्तेमाल के सड़ रही हैं। एक ओर जहाँ लाखों नागरिक एक घड़ा पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सफेद हाथी बनी ये पानी की टंकियाँ लोगों के ज़ख्मों पर नमक छिड़क रही हैं। इस प्रशासनिक उदासीनता के खिलाफ लोगों में भारी आक्रोश की लहर दौड़ गई है और पूर्व महापौर रूपेश जाधव ने अगले पंद्रह दिनों में इस पानी की टंकी को चालू नहीं करने पर प्रशासन को सबक सिखाने के लिए सड़कों पर उतरने की अंतिम चेतावनी दी है। साथ ही, BAVIA ने सख्त चेतावनी दी है कि अगर नगर पालिका 15 दिनों के भीतर पानी की टंकी से पानी की आपूर्ति शुरू नहीं करती है, तो BAVIA खुद पानी की आपूर्ति शुरू कर देगा।

तत्कालीन महापौर रूपेश जाधव की दूरदर्शिता और अथक प्रयासों के कारण, अचोले प्रभाग की भविष्य की पानी की जरूरतों को समझते हुए 30 लाख लीटर (कुल 90 लाख दक्षलाख लीटर) क्षमता वाली तीन विशाल पानी की टंकियों को मंजूरी दी गई थी। ये पानी की टंकियाँ अचोले श्मशान, राम रहीम नगर और एवरशाइन सिटी के पास बनाई और पूरी की गईं। हालाँकि, नगर पालिका के निष्क्रिय और अनियोजित अधिकारियों के कारण, ये पानी की टंकियाँ अब केवल सजावट की वस्तु बनकर धूल में पड़ी हैं। "क्या यह पानी की टंकी सिर्फ जनता के पैसे की बर्बादी के लिए बनाई गई थी?" रूपेश जाधव ने यह गुस्से भरा सवाल उठाया है।

वर्तमान में, शहर में पानी की आपूर्ति अराजकता की स्थिति में है। सूर्या जलापूर्ति में रिसाव और बिजली आपूर्ति में लगातार रुकावट के कारण नागरिक परेशान हैं। हाल ही में हुई भारी बारिश के दौरान, प्रशासन पूरे शहर की प्यास नहीं बुझा पाया। ऐसी विकट स्थिति में 90 लाख लीटर पानी संग्रहित करने वाली ये तीन पानी की टंकियां लोगों के लिए जीवन रेखा होतीं। लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण गाला नगर, चंदन नाका, एवरशाइन सिटी और लिंक रोड के इलाकों के हजारों परिवार टैंकर लॉबी की छत से बंधे हुए हैं। महंगा पानी खरीदते हुए नागरिकों की जेबें खाली हो रही हैं और उनका आक्रोश दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। एक तरफ पानी के बिना लाखों नागरिकों का हाहाकार और दूसरी तरफ पूर्व महापौर द्वारा आंदोलन का बिगुल फूंकने से अब पूरे शहर की नजर इस बात पर टिक गई है कि मनपा आयुक्त इस संघर्ष में क्या भूमिका निभाते हैं। लोगों के धैर्य की परीक्षा लेने के बजाय प्रशासन को तुरंत जागना चाहिए और अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, अन्यथा यह जनाक्रोश प्रशासन को महंगा पड़ेगा, ऐसा आक्रोश नागरिकों से सुनाई दे रहा है।


*~✍🏻 *संजीव भागीरथी पाण्डेय**

 *भारत जनपक्ष न्यूज चैनल**

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